यूनेस्को में भारत के राजदूत
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विश्व धरोहर समिति को यूनेस्को में भारत के राजदूत ने अपने देश के बारे में बातया। जिसमें उन्होंने विश्व विकास और विरासत के लिए भारत के संदेश को बताया। उन्होंने कहा कि भारत एक सांस्कृतिक महाशक्ति है। संस्कृत से संस्कृति, संस्कृति से संस्कार और संस्कार से संस्कार सिखाए जाते हैं। दुनिया को भारत का संदेश विकास और विरासत है।
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विश्व धरोहर समिति के सत्र का उद्धाटन रविवार को दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ। यह कार्यक्रम 21 जुलाई से 31 जुलाई तक आयोजित हो रहा है। विश्व धरोहर समिति को विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों का प्रबंधन करने और विश्व धरोहर सूची में अंकित किए जाने वाले स्थलों पर निर्णय लेने का काम सौंपा जाता है। यूनेस्को में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा ने कहा भारत एक सांस्कृतिक महाशक्ति है। संस्कृत से संस्कृति, संस्कृति से संस्कार और संस्कार से संस्कार सिखाए जाते हैं। दुनिया को भारत का संदेश विकास और विरासत है। उन्होंने कहा कि भारत में होने वाली यह विश्व धरोहर समिति हर भारतीय परिवार का हिस्सा है। यह सभी का प्रतिनिधित्व करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत की विरासत सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि विज्ञान भी है। विशाल वी शर्मा के अनुसार रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुआ। तब मंदिर की नींव शॉक-एब्जॉर्बिंग तकनीक पर बनाई गई थी। मूर्तियों को कठोर डालराइट चट्टान से तैयार किया गया, यह तकनीक भारत के अलावा कहीं और नहीं मिल सकती। यह प्राचीन भारतीय तकनीक का एक उदाहरण है। राजदूत ने यह भी कहा कि ये स्मारक हमारे पूर्वजों द्वारा बनाए गए हैं। हम सिर्फ इसके संरक्षक हैं, और हमें इसे अपने भविष्य के लिए बचाना है। हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को इस तरह के स्मारकों की रक्षा करने के लिए प्रेरित करना होगा। क्योंकि ये कोहिनूर है।