Vinesh Phogat: Sugar Is The Biggest Enemy Of Weight Gain, How Reliable Is Sweetener In Weight Loss – Amar Ujala Hindi News Live



Vinesh Phogat
– फोटो : Amar Ujala

विस्तार


कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट का वजन तय सीमा से 100 ग्राम अधिक हो जाने के कारण उन्हें ओलंपिक प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया है। इससे पूरे देश में लोगों के बीच निराशा पैदा हो गई है। लेकिन इसी के बीच शरीर के वजन को लेकर भी देश में एक नई बहस शुरू हो गई है। लोगों के बीच शरीर का वजन न बढ़ने देने के लिए ‘क्या खाना चाहिए’ और ‘क्या नहीं खाना चाहिए’, इस पर चर्चा हो रही है। इन चर्चाओं में चीनी को वजन बढ़ने के लिए सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है, तो लोगों की आरामदायक जीवन शैली भी इसके लिए बड़ा कारण बताई जा रही है।

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दरअसल, आजकल की जिंदगी में लोगों के बीच प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड या कोल्ड ड्रिंक बहुत लोकप्रिय हो गया है। कंपनियां इन वस्तुओं को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के चक्कर में तय मात्रा से अधिक चीनी डालती हैं। आरोप है कि इससे पूरी दुनिया में लोगों का वजन अनियंत्रित गति से बढ़ रहा है और लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं। दुनिया के अनेक देशों में इन वस्तुओं में चीनी के उपयोग की मात्रा निर्धारित की गई है, लेकिन इसके बाद भी इस पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पाया है, जिसके कारण लोगों का वजन बढ़ने में अब भी कोई कमी नहीं आ रही है। हालांकि, इसके लिए लोगों की कड़ी मेहनत न करने वाली जीवन शैली को भी जिम्मेदार माना रहा है। 

आर्टिफिशियल स्वीटनर कितना प्रभावी?

चीनी के इसी दुष्प्रभाव को देखते हुए लोग इसके उपयोग से बचने की कोशिश करने लगे हैं। लोग चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करने लगे हैं। आर्टिफिशियल स्वीटनर से लोगों को मीठेपन का स्वाद तो मिल जाता है, लेकिन बेहद कम या कैलोरी रहित होने के कारण इसके उपयोग से शरीर का वजन नहीं बढ़ता है। विशेषकर डाइबिटीज के बीमार लोगों के बीच यह बहुत लोकप्रिय हो रहा है। 

हालांकि, आर्टिफिशियल स्वीटनर स्वास्थ्य के लिए कितने सही हैं, इसे लेकर भी इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है। कड़े स्वास्थ्य मानकों वाले देश अमेरिका ने अपने यहां कुछ स्वीटनर को अनुमति दी है। लेकिन कुछ अध्ययनों में आर्टीफिशियल स्वीटनर के कारण शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ने की बात भी कही जा रही है। 

वजन कम करने में सहायक

जिस दिन विनेश फोगाट का मामला देश के सामने आया है, ठीक उसी दिन एक रिपोर्ट भी सामने आई है जिसमें आर्टीफिशियल स्वीटनर के उपयोग से वजन कम करने में मदद मिलने की बात भी कही गई है। रिपोर्ट का दावा है कि एनएनएस (सुक्रालोज) का सीमित मात्रा में उपयोग करने से इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। उलटे इससे शरीर का वजन कम करने, पेट के आसपास की चर्बी कम करने में मदद मिलती है। 

मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) की इस रिसर्च में 179 लोगों को शामिल किया गया था। तीन महीने की रिसर्च के बाद यह पाया गया कि चीनी या कॉफी में सीमित मात्रा में एनएनएस (सुक्रालोज) लेने के कारण शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा, जबकि लोगों की जीवनशैली सहित कोई अन्य बदलाव न करने के बाद भी लोगों के शरीर के वजन में सीमित कमी आई। 

इस रिसर्च के अगुवा डॉ. वी मोहन ने कहा है कि भारतीय जीवन शैली में चावल या गेहूं की अधिकता होने के कारण कार्बोहाइड्रेट बहुत ज्यादा होता है। यही कारण है कि उन्हें डायबिटीज होने की संभावना दुनिया के अन्य देशों से ज्यादा होती है। लेकिन इस रिसर्च के दौरान किए गए अध्ययन बताते हैं कि सीमित मात्रा में एनएनएस (सुक्रालोज) लेने से कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।    







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