भारतीय सेना के वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी देश के नए आर्मी चीफ होंगे। वे 30 जून 2024 को अपना कार्यभार संभालेंगे। खास बात यह है कि जनरल उपेंद्र द्विवेदी के आर्मी चीफ बनते ही वे उस पीढ़ी में शामिल होंगे, जिनका जन्म भारत-चीन युद्ध के बाद हुआ है। भारतीय सेनाओं को इस साल एक बड़ा मनोवैज्ञानिक पीढ़ीगत बदलाव देखने को मिलने वाला है। जिसकी शुरुआत नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी की नियुक्ति के साथ ही हो चुकी है। खास बात यह है कि इसी साल भारत-चीन युद्ध को 61 साल पूरे हो जाएंगे। वहीं पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक कहते हैं कि भारत को असली खतरा चीन से है और नए सेनाध्यक्ष को भी चीन से संभावित खतरे को देखते हुए इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
मौजूदा आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे की जन्मतिथि 6 मई, 1962 है। वे उस पीढ़ी के आखिरी चीफ हैं, जिनका जन्म भारत-चीन युद्ध से ठीक पहले हुआ था। अभी तक तीनों सेनाओं में जितने भी आर्मी चीफ रहे हैं, वे सभी 1962 से पहले पैदा हुए थे। उनमें से कुछ ने या तो भारत-चीन के बीच हुई उस भीषण जंग में हिस्सा लिया था, या फिर वे उस तारीख के गवाह रहे हैं, उन्होंने उसे अपने सामने घटते हुए देखा था। भारत-चीन के बीच युद्ध 20 अक्तूबर से 20 नवंबर, 1962 तक लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के उच्च हिमालयी इलाकों में लड़ा गया था। वहीं, भारतीय सेनाओं को इस साल एक बड़ा मनोवैज्ञानिक पीढ़ीगत बदलाव यह देखने को मिलेगा कि जितने भी आर्मी चीफ आगे नियुक्त होंगे, उन सभी का जन्म वर्ष 1962 के बाद का होगा। क्योंकि इस साल तीनों सेनाओं को नए चीफ मिलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
तीनों सेनाओं मे जो भी प्रमुख बनता है, वह अधिकतम तीन साल या 62 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, सेवा कर सकता है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी का जन्म 01 जुलाई 1964 को हुआ था। खास बात यह है कि जनरल उपेंद्र द्विवेदी 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद पैदा हुए पहले 4 स्टार जनरल होंगे। वहीं, 30 अप्रैल को भारतीय नौसेना की कमान संभालने वाले एडमिरल दिनेश त्रिपाठी की जन्मतिथि भी 15 मई 1964 है। जबकि इस साल सितंबर 2024 में जो भी भारतीय वायुसेना के एयर चीफ मार्शल बनेंगे, उनकी जन्मतिथि भी 1962 के बाद की होगी। माना जा रहा है कि वायु सेना उप प्रमुख एयर मार्शल अमनप्रीत सिंह नए एयर चीफ मार्शल बन सकते हैं, हालांकि उनकी जन्मतिथि को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है। वहीं मौजूदा एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी की जन्मतिथि 01 सितंबर 1961 है।
आज भी बरकरार है टीस
हालांकि सेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भले ही यह बात आपको प्रतीकात्मक लगे, लेकिन इस युद्ध की टीस आज भी बरकार है। इस युद्ध को हुए 61 साल होने वाले हैं। भले ही भारत-चीन के बीच आज सीधे जंग नहीं हो रही है, लेकिन अपरोक्ष रूप से दोनों देश एलएसी पर आमने-सामने हैं। 2020 में हुई गलवान हिंसा को हम कैसे भूल सकते हैं, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रहा सैन्य गतिरोध पांचवें वर्ष में प्रवेश कर गया है, लेकिन अभी कोई समाधान नहीं मिला है। भले ही नए सेना प्रमुख का जन्म 1962 के युद्ध के बाद पैदा हुआ हो, लेकिन 61 साल बाद भी उसे फिर से चीन की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। यह घटनाक्रम दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे मनोवैज्ञानिक पीढ़ीगत बदलाव की शुरुआत होने की संभावना है, जो उस युद्धों की यादों को ताजा करेगा।
सेना में पढ़ाई जाती है मिलिट्री हिस्ट्री
भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक अमर उजाला से खास बातचीत में कहते हैं कि सैन्य नेतृत्व पर इसका कोई असर होने का सवाल ही नहीं उठता। सेना में सभी को मिलिट्री हिस्ट्री पढ़ाई जाती है। जो समय-समय पर बदलती रहती है। जिससे सेना सीखती भी है और नए अफसरों को सिखाती भी है। वह कहते हैं कि जब 1959 में उन्होंने सेना में कमीशन लिया था, तो उन्हें भी 1947 से पहले और बाद का इतिहास पढ़ाया गया था। इससे कंटीन्यूटी बनी रहती है, जो सेना के लिए बेहद जरूरी है।
असली खतरा चीन से है
जनरल वीपी मलिक कहते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी जो आगे सेनाध्यक्ष बनेंगे, वे हालात को अच्छे से समझते हैं और पहचानते हैं। वे काफी अनुभवी हैं। वे नॉर्दन कमांड के इंचार्ज भी रह चुके हैं, उन्हें चीन से पैदा हो रहे खतरों पर ध्यान देना होगा, क्योंकि असली खतरा चीन से है। सीमाओं पर चीन की नई चुनौती है, जिससे निपटने के लिए नए सेना प्रमुख को पेशेवर ध्यान और कुशलता की आवश्यकता होगी, तथा मजबूत प्रतिरोधक क्षमता पर विशेष ध्यान देना होगा।
चीन-पाकिस्तान का गठबंधन बेहद खतरनाक
वहीं चीन और पाकिस्तान का जो ये गठबंधन है, इस खतरे से भी उन्हें जूझना होगा। चीन को साधने के लिए तो हमने चीनी सीमा एलएसी पर 50-60 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है, लेकिन पाकिस्तान को साधना बेहद जरूरी है। वह कहते हैं कि भले ही भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीजफायर है, लेकिन पाकिस्तान ने प्रॉक्सी वार छेड़ रखी है। चाहे बालाकोट हो या उरी सर्जिकल स्ट्राइक, पाकिस्तान को इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। उससे शांति की बातें करना बेकार है और अपने आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के जरिए कश्मीर में माहौल खराब करने की लगातार कोशिश करता रहेगा।
इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड दें ध्यान
जनरल वीपी मलिक आगे कहते हैं कि नए सेनाध्यक्ष के सामने और भी कई चुनौतियां हैं। हिन्द महासागर में कई चुनौतियां पैदा हो रही हैं। चीन, श्रीलंका और मालदीव सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं। वहीं, इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने को लेकर जनरल मलिक कहते हैं कि इस पर तेजी से ध्यान देना पड़ेगा। चीन-पाकिस्तान से संभावित खतरे को देखते हुए यह बेहद जरूरी है। इसे हर हाल में तय वक्त पर पूरा किया जाना जरूरी है। इसके अलावा सेना के आधुनिकीकरण पर भी ध्यान देना होगा। नई टेक्नोलॉजी के साथ नए हथियार सेना के लिए बेहद जरूरी हैं। सेना को आधुनिकिकरण की सख्त जरूरत है। वहीं सीमा पार से हो रही आतंकियों की घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए 24X7 बॉर्डर सर्विलांस पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। सैटेलाइट, यूएवी और रडार के जरिए इस घुसपैठ को रोका जाए।
30 जून को संभालेंगे कार्यभार
मोदी सरकार 3.0 ने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत बड़े नीतिगत फैसले के साथ करते हुए नए आर्मी चीफ की नियुक्ति का एलान कर दिया। भारतीय सेना के वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी देश के नए आर्मी चीफ होंगे। वे अपना कार्यभार मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे के 30 जून को रिटायर होने के बाद संभालेंगे। जनरल पांडे इससे पहले 31 मई को रिटायर होने वाले थे, लेकिन 26 मई को सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके, उन्हें एक माह का अतिरिक्त सेवा विस्तार दे दिया था।