There Will Be Breakdown Of Federal System If States Levy Taxes On Minerals: Justice Nagarathna – Amar Ujala Hindi News Live – Sc:न्यायमूर्ति नागरत्ना का आठ जजों के बहुमत के खिलाफ फैसला, कहा



सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

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सुप्रीम कोर्ट ने खनिजों पर टैक्स को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि संविधान के तहत राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की पीठ में इस फैसले को 8-1 के बहुमत से पारित किया गया। हालांकि, शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने इस फैसले पर अपनी असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि अगर खनिज संसाधनों पर कर लगाने का अधिकार राज्यों को दिया गय़ा, तो वे एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह से ‘खनिज विकास’ खतरे में पड़ सकता है और संघीय प्रणाली टूट जाएगी। 

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सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा था?

आपको बता दें कि न्यायमूर्ति नागरत्ना नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ में अकेली न्यायाधीश हैं, जिन्होंने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा लिखे गए बहुमत के फैसले पर असहमति जताई। बहुमत से पारित किए गए फैसले में कहा गया था कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है। 

‘राजस्व की वसूली वैधानिक’

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने कहा कि खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) यानी एमएमडीआर अधिनियम के तहत राजस्व भुगतान की प्रकृति सबसे अलग है। इस तरह से देखा जाए तो एमएमडीआर अधिनियम के तहत राजस्व भुगतान एक प्रकार का कर है। उन्होंने कहा कि एमएमडीआर अधिनियम के तहत, अगर पट्टेदार द्वारा खनिज अधिकारों का कोई भी प्रयोग किया जाता है, तो यह राजस्व भुगतान के अधीन है। इसलिए, राजस्व की वसूली वैधानिक है। 

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने आगे कहा, ‘अतिरिक्त राजस्व प्राप्त करने के लिए राज्यों द्वारा एक-दूसरे के साथ अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा की जाएगी। इसके कारण खनिजों की लागत में तेजी से वृद्धि होगी। इस वजह से ऐसे खनिजों के लिए  खरीदारों को भारी रकम चुकानी पड़ेगी। इससे भी बुरे हालात तब पैदा हो सकते हैं, जब राष्ट्रीय बाजार का शोषण किया जाएगा।’ उन्होंने आगे कहा कि अगर खनिजों की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई, तो इस वजह से सभी औद्योगिक और अन्य उत्पादों की कीमतों में भी बढ़ोतरी होगी। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने आगाह किया कि इस तरह से भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह से कुछ ही राज्यों द्वारा खनिजों का आयात किया जाएगा और इस तरह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान पहुंचेगा।’







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