Published by: निर्मल कांत
Updated Wed, 14 Aug 2024 03:02 AM IST
Supreme Court: शीर्ष अदालत ने 1989 के एक फैसले को पलटते हुए 25 जुलाई के आदेश में कहा था कि राज्यों के पास खनिजों पर कर (टैक्स) लगाने का अधिकार है। पहले यह अधिकार केंद्र सरकार के पास होता था।
सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : एएनआई
विस्तार
सर्वोच्च न्यायालय बुधवार को तय करेगा कि 25 जुलाई को दिया गया फैसला पिछली तारीख से प्रभावी होगा या नई तारीख से। इस फैसले में कहा गया था कि राज्यों के पास खनिजों पर कर (टैक्स) लगाने का अधिकार है। जबकि 1989 के फैसले में यह अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया था। कुछ राज्यों ने केंद्र से टैक्स और रॉयल्टी की वापसी की मांग की है। लेकिन केंद्र का कहना है कि अगर यह मांग मान ली जाती है, तो इससे नागरिकों पर असर पडे़गा और सरकारी कंपनियों को 70 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की पीठ को केंद्र ने बताया कि वह राज्यों की रॉयल्टी की वापसी की मांग का विरोध करती है। केंद्र का कहना है कि अगर यह मांग मान ली जाती है, तो इसका असर नागरिकों पर पड़ेगा औ सरकारी कंपनियों को 70 हजार करोड़ का नुकसान होगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में नौ न्यायाधीशों की पीठ ने 31 जुलाई को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अगर 25 जुलाई का फैसला पिछली तारीख से लागू होता है, तो कंपनियां इसका खर्च नागरिकों पर डाल सकती हैं। उन्होंने कहा कि 1989 का फैसला 35 साल तक के लिए लागू था और 25 जुलाई के फैसला का आर्थिक असर हर राज्य में अलग-अलग होगा।