Supreme Court News Updates: Hearing On July 8 In Soumya Vishwanathan Murder Case – Amar Ujala Hindi News Live



सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : एएनआई (फाइल)

विस्तार


टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाए चार दोषियों को जमानत के खिलाफ याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय आठ जुलाई को सुनवाई करेगा। इन सभी को उच्च न्यायालय ने जमानत दी है। पुलिस ने उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। 

सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर आठ जुलाई को अपलोड की गई सूची के मुताबिक, ये याचिकाएं न्यायमूर्ति बेला एम.त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएंगी। उच्च न्यायालय ने 12 फरवरी को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार को उनकी दोषसिद्धी और सजा को  चुनौती देने वाली उनकी अपीलों के लंबित रहने तक उनकी सजा निलंबित कर दी थी। अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था। उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया था कि दोषी 14 साल से अधिक समय से हिरासत में हैं। 

  

जमानत की अवधि दो महीने सीमित करने का उच्च न्यायालय का आदेश ‘गलत’: उच्चतम न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के उस आदेश को ‘त्रुटिपूर्ण’ करार दिया, जिसमें  एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में आरोपी को दी गई जमानत की अवधि दो महीने के लिए सीमित कर दी गई थी।

पीठ ने शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में पारित एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह अब पूरी तरह से स्थापित हो चुका है कि त्वरित सुनवाई के अधिकार को संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है तथा यह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से निकटता से जुड़ा हुआ है।

न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और उज्ज्वल भुइयां की अवकाशकालीन पीठ ने उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में एक जमानत अर्जी दायर की थी तथा अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि याचिकाकर्ता 11 मई 2022 से हिरासत में है और अब तक केवल एक गवाह से जिरह हुई है। पीठ ने कहा, ‘इन परिस्थितियों में, उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का आदेश देना उचित समझा, लेकिन केवल दो महीने की अवधि के लिए।’

शीर्ष अदालत ने एक जुलाई के आदेश में कहा, ‘हमारे विचार से, यह एक त्रुटिपूर्ण आदेश है। यदि उच्च न्यायालय का मानना था कि याचिकाकर्ता के त्वरित सुनवाई के अधिकार का हनन हुआ होगा, तो उच्च न्यायालय को मुकदमे के निस्तारण तक याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का आदेश देना चाहिए था।’ पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के पास ‘‘जमानत की अवधि सीमित करने’’ का कोई उचित कारण नहीं था।







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