Restrictive Statutory Provisions In Law Do Not Prevent Courts From Granting Bail To Accused: Sc – Amar Ujala Hindi News Live


Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के वैधानिक प्रावधान, अदालत को किसी आरोपी को जमानत देने से नहीं रोक सकते। अदालत ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 सभी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीने का अधिकार देता है।


सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : एएनआई

विस्तार


देश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति को जमानत दे दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के वैधानिक प्रावधान, अदालत को किसी आरोपी को जमानत देने से नहीं रोक सकते। न्यायमूर्ति जेबी पादरीवाला और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 सभी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीने का अधिकार देता है। अदालत ने कहा कि भारत का संविधान ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और अटल है।

‘अदालत किसी आरोपी को जमानत से वंचित नहीं रख सकती’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,‘प्रतिबंधात्मक वैधानिक प्रावधानों की वजह से अदालत किसी भी आरोपी को जमानत देने से वंचित नहीं रख सकती। इस तरह से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिलने वाले अधिकारों का उल्लंघन होगा।’ दंडात्मक कानूनों के होने के बाद भी इस मामले में वैधानिक प्रतिबंध रास्ते में नहीं आ सकते। अदालत को संविधान के पक्ष में झुककर स्वतंत्रता के अधिकार के बारे में सोचना होगा। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी नेपाल के नागरिक शेख जावेद इकबाल की याचिका पर की। इकबाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। 

नेपाली नागरिक शेख इकबाल को मिली जमानत

पुलिस का कहना है कि इकबाल नेपाल में नकली भारतीय नोटों के व्यापार में शामिल रहा है। पुलिस ने आगे कहा कि इकबाल ने इस बात को स्वीकार भी किया है। उधर इकबाल की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील एमएस खान ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता बीते नौ वर्षों से सलाखों के पीछे है। खान ने आगे है कि इस मामले में ट्रायल के फिलहाल खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे। इस वजह से याचिकाकर्ता को जमानत मिलनी चाहिए। उधर, शीर्ष अदालत ने कहा कि ट्रायल बहुत धीमे से चल रहा है और मामले के जल्दी पूरा होने के आसार नजर नहीं आ रहा है। अदालत ने इसके साथ ही शेख जावेद इकबाल को जमानत दे दी।



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