खेती-किसानी।
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दालों की महंगाई ने लोगों के खाने का जायका बिगाड़ कर रख दिया है। इस समय थोक बाजार में अरहर दाल का मूल्य 140 से 150 रुपये प्रति किलो के बीच में है, जो खुदरा बाजार में 180 से 200 रुपये किलो के बीच मिल रही है। प्रीमियम ब्रांड की अरहर दाल का मूल्य 200 से 330 रुपय प्रति किलो के बीच है। इससे लोगों के खाने का बजट बिगड़ गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश जल्दी ही इस मामले में देश के सामने एक नई मिसाल बनने जा रहा है। अनुमान है कि प्रदेश अगले तीन से चार सालों के बीच दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा। इससे लोगों को महंगी दाल खरीदने से निजात मिल सकेगी, जबकि किसानों को बेहतर आय प्राप्त होगी। दलहन की खेती से खेतों की उत्पादकता में भी वृद्धि होगी।
केंद्र सरकार ने दलहन उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने की योजना बनाई थी। उसी योजना पर काम करते हुए उत्तर प्रदेश में 2016-217 से 2023-2024 के दौरान दलहन उत्पादन में करीब 36 फीसदी की वृद्धि हासिल करने में सफलता मिली है। इस दौरान दलहन का उत्पादन 23.94 लाख मिट्रिक टन से बढ़कर 32.55 लाख मिट्रिक टन हो गया है।
किसानों को बेहतर बीज उपलब्ध करवाकर दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने की नीति अपनाई जा रही है। दलहन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के अन्तर्गत 31553 कुंतल बीज वितरण और 27356 कुंतल प्रमाणित बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी योजना के अंतर्गत इस वर्ष 10500 किसानों में अरहर की उन्नतशील प्रजातियों के बीज दिए जा रहे हैं।
आदर्श दलहन ग्राम
यूपी सरकार की योजना के अनुसार दलहन उत्पादन में अग्रणी बुंदेलखंड के जिलों बांदा, महोबा, जालौन, चित्रकूट और ललितपुर में आदर्श दलहन ग्राम विकसित किए जायेंगे। उत्तर प्रदेश दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता राज्य है। लेकिन इस समय उपभोग का आधा ही उत्पादन प्रदेश में होता है। देश को प्रतिवर्ष विदेश से दाल का आयात करना पड़ता है। रणनीति के अनुसार तय समयावधि में प्रति हेक्टेयर उपज 14 से बढ़ाकर 16 कुंतल करने का है। कुल उपज का लक्ष्य 30 लाख टन है। दलहन की आत्मनिर्भरता से विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।