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भगवान जगन्नाथ मंदिर
– फोटो : एएनआई

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 ओडिशा की भाजपा सरकार पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार (खजाना) को फिर से खोलने पर आज फैसला करेगी। भाजपा ने ओडिशा में सत्ता में आने पर 12वीं सदी के मंदिर के खजाने को फिर से खोलने का वादा किया था। मंदिर का खजाना आखिरी बार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था। इसे दोबारा खोलना राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा था। दूसरी तरफ पुरी में भगवान जगन्नाथ की ‘बाहुड़ा यात्रा’ के दौरान अनुशासनहीनता करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। रथ यात्रा के दौरान मूर्ति गिरने से उपजे विवाद के बाद श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने कहा कि इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हों।

ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शुक्रवार को कहा “राज्य सरकार मंदिर प्रबंध समिति द्वारा अनुशंसित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के कानूनी और अन्य पहलुओं की जांच कर रही है। शनिवार को राज्य सरकार के फैसले के बारे में पता चलेगा।

बता दें कि मंदिर प्रबंध समिति ने एसओपी में कुछ बदलावों के साथ उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बिस्वनाथ रथ की अध्यक्षता वाले एक उच्च स्तरीय पैनल के प्रस्तावों की पुष्टि की है। इसे सरकार की मंजूरी के लिए भेजा है। आंतरिक रत्न भंडार के निरीक्षण, वहां संग्रहीत आभूषणों और कीमती सामानों की सूची बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित 16 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने 14 जुलाई को खजाने को फिर से खोलने की सिफारिश की थी।

रथ यात्रा के दौरान मूर्ति गिरने से घायल हुए थे 12 सेवादार

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने कार्यभार संभालने के बाद कहा ‘हम उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे जो अनुचित व्यवहार में लिप्त पाए जाएंगे। हमने देखा है कि कुछ अनधिकृत व्यक्ति रथों पर चढ़ रहे थे और रथ यात्रा के दौरान मोबाइल फोन ले जा रहे थे, जिसकी अनुमति नहीं है।’

गुंडिचा मंदिर पहुंचने के बाद रथ से उतारते समय मूर्ति गिरने से 12 सेवादार घायल हो गए थे। आरोप है कि संतुलन बिगड़ने के कारण जब मूर्ति गिरी, उस समय कई सेवादार अपने मोबाइल फोन से फोटो और वीडियो बनाने में व्यस्त थे।

15 जुलाई को आयोजित की जाएगी बहुड़ा यात्रा

पाधी ने कहा, ‘मंदिर प्रबंधन समिति के निर्णय के अनुसार एक समिति गठित की गई है और हमें उसकी रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।’ विभिन्न सेवादार समूहों के साथ विचार-विमर्श किया गया ताकि अनुष्ठान सुचारू रूप से संपन्न हो सके। हमें उम्मीद है कि वे हमारी छवि खराब नहीं करेंगे, बल्कि हमारी जगन्नाथ संस्कृति को बढ़ावा देंगे।

बता दें कि रथ यात्रा सात और आठ जुलाई को आयोजित की गई थी जबकि ‘बाहुड़ा यात्रा’ 15 जुलाई को आयोजित की जाएगी।







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