Nalanda University History Explained Bakhtiyar Khilji Why Burn It Pm Narendra Modi Inaugurate New Campus – Amar Ujala Hindi News Live



नालंदा यूनिवर्सिटी
– फोटो : पीटीआई

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आज पूरी दुनिया के छात्र पढ़ाई के लिए ब्रिटेन और अमेरिका जाते हैं, लेकिन एक समय ऐसा था, जब पूरी दुनिया से छात्र ज्ञान पाने भारत आते थे। लंदन की प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भी 500 से भी ज्यादा वर्षों पहले भारत के बिहार में मौजूद नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान पाने का सिरमौर संस्थान था। नालंदा विश्वविद्यालय एक समय 90 लाख किताबों का घर था और दुनियाभर से करीब 10 हजार छात्र नालंदा में पढ़ने आते थे। आज नालंदा विश्वविद्यालय फिर से चर्चा में है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया है। 455 एकड़ में फैले नए परिसर में कुल 221 संरचनाएं हैं। मशहूर आर्किटेक्ट बीबी जोशी ने नालंदा विश्वविद्यालय के प्रारूप को डिजाइन किया है। साल 2014 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय के निर्माण की नींव रखी थी। 

दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था नालंदा

दुनिया के सबसे शिक्षा केंद्रों में से एक रहा नालंदा विश्वविद्यालय आज लाल ईंटों का खंडहर बनकर रह गया है, जो अपने पुराने वैभव की राह तक रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी पहल कर दी है। नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय माना जाता है। इसकी स्थापना पांचवीं शताब्दी में गुप्त वंश के सम्राट कुमार गुप्त ने कराई थी। बाद में नालंदा विश्वविद्यालय को सम्राट हर्षवर्धन और पाल वंश के शासकों से संरक्षण मिलता रहा। 

नालंदा विश्वविद्यालय में साहित्य, खगोलशास्त्र, मनोविज्ञान, कानून, विज्ञान, दर्शनशास्त्र, गणित, अर्थशास्त्र, चिकित्सा विज्ञान, आयुर्वेद, योग जैसे विषयों की पढ़ाई कराई जाती थी। चीन के ह्वेनसांग और इतसिंह जैसे विद्वानों ने भी भारत आने के बाद नालंदा विश्वविद्यालय का गुणगान किया था और इसे विश्व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय करार दिया था। नालंदा विश्वविद्यालय स्थापत्यकला का भी अद्भुत नमूना है। यहां 300 से ज्यादा कमरे थे और सात बड़े हॉल थे। नालंदा में नौ मंजिला लाइब्रेरी थी और माना जाता है कि इस लाइब्रेरी में 90 लाख से ज्यादा किताबें मौजूद थीं। यही वजह है कि जब बख्तिार खिलजी ने अपनी सनक में इस विश्वविद्यालय को जलाया था तो इसकी आग कई दिनों तक धधकती रही थी। 

 







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