पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी
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लोकसभा चुनाव परिणाम के सामने आने के साथ ही यह साफ हो गया था कि इस बार सरकार की राह आसान होने वाली नहीं है। चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र में संसद की कार्रवाई देखते हुए वह आशंका पूरी तरह सही साबित होती हुई दिखाई भी दे रही है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए पहले एक जुलाई को राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला किया था, तो मंगलवार को अखिलेश यादव ने भाजपा नेताओं को कई अहम मुद्दों पर घेरा। प्रधानमंत्री मोदी के 2.14 घंटे के संबोधन में लगातार हो हल्ला कर विपक्ष ने बता दिया है कि आगामी बजट सत्र में सरकार और सत्ता पक्ष के बीच बहस और गर्म हो सकती है।
प्रधानमंत्री ने इन हमलों का जवाब देते हुए विपक्ष को जमकर धोया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बेहद तीखी चर्चा के बीच लोगों को उस गर्मागर्म बहस को देखा, जिसकी कमी वे पिछले दस साल से महसूस कर रहे थे। लंबे समय से संसद में इस तरह की जोरदार बहस और गर्मागर्म माहौल देखने को नहीं मिला था। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पेपर लीक और अग्निवीर सहित तमाम मुद्दों पर अपना पक्ष रखा, जिस पर विपक्ष का आरोप था कि वे उन मुद्दों पर बोलने से बचते रहे हैं। इसे भी एक मजबूत विपक्ष का दबाव ही कहा जा सकता है।
क्या राहुल पर कड़ी कार्रवाई होने की है संभावना?
‘मणिपुर को न्याय दो’ और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के विपक्षी नारों और अनवरत शोर शराबे के बीच प्रधानमंत्री ने शुरुआत के एक घंटे के संबोधन में अपनी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा की। लेकिन उसके बाद वे सीधे राहुल गांधी के उन आरोपों पर आ गए, जिसे लेकर सोमवार से ही राजनीतिक माहौल गर्म हो चुका था। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद शब्द को स्थापित करने का काम किया था, आज वह हिंदुओं को हिंसक बताने का प्रयास कर रही है। संसद के बाहर भी राहुल गांधी के इस बयान का जबरदस्त विरोध हो रहा है। कई संगठन राहुल गांधी से अपने तथाकथित हिंदू विरोधी बयान के लिए माफी मांगने की मांग कर रहे हैं।