छगन भुजबल
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महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान एनसीपी एसपी चीफ शरद पवार पर तीखा हमला बोला। भुजबल ने दावा किया कि आरक्षण को लेकर होने वाली बैठक में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता इसलिए नहीं आए थे, क्योंकि उन्हें बारामती से फोन आ गया था। बता दें कि बारामती लोकसभा सीट शरद पवार का गढ़ मानी जाती है। ऐसे में छगन भुजबल के बयान को शरद पवार पर हमला माना जा रहा है।
भुजबल का आरोप- जानबूझकर बैठक का एमवीए ने किया बहिष्कार
एनसीपी प्रमुख अजित पवार के साथ बारामती में एक रैली को संबोधित करते हुए छगन भुजबल ने कहा कि ‘जब सामाजिक मुद्दों की बात आती है तो शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता से उम्मीद की जाती है कि वह बैठक में शामिल होंगे और अपने सुझाव देंगे। लेकिन जानबूझकर बैठक का बहिष्कार करना और फिर सलाह देने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है।’ दरअसल बीती 9 जुलाई को सीएम एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। भुजबल ने बताया कि उन्होंने नेता विपक्ष विजय वडेट्टिवार और एनसीपी एसपी के नेता जितेंद्र अव्हाण को बैठक में आने के लिए कहा था और अव्हाण को शरद पवार को भी बैठक में लाने को कहा था।
सत्ता पक्ष का आरोप- अपने राजनीतिक फायदे के लिए जातीय तनाव बढ़ा रहा विपक्ष
भुजबल ने आरोप लगाया कि विपक्ष मराठा, धनगर और ओबीसी समुदाय के हितों की अनदेखी कर रहा है। भुजबल के अनुसार, ‘बारामती के मराठा, माली, धनगर और ओबीसी समुदाय ने भले ही किसी को वोट दिया हो, लेकिन आप हमसे नाराज हो सकते हैं, लेकिन लोगों को अधर में छोड़ना गलत है। क्या लोगों के हितों की रक्षा करना आपकी जिम्मेदारी नहीं है।’ मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा सर्वदलीय बैठक का बायकॉट करने पर विधानसभा में खूब हंगामा हुआ और सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर अपने फायदे के लिए राज्य में जातीय तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया। सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष आरक्षण मुद्दे का हल निकालने के लिए गंभीर नहीं है।