सुनील अंबेकर और राहुल गांधी (फाइल)
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राहुल की टिप्प्णी पर आरएसएस ने कहा है कि हिंदुत्व को हिंसा से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लगभग 100 मिनट का भाषण दिया। उन्होंने इस दौरान भाजपा, हिंदुत्व के नाम पर हिंसा जैसे मुद्दों पर जमकर टिप्पणी की। राहुल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का भी नाम लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए राहुल ने कहा कि वह भाजपा की नीतियों के बारे में बोल रहे हैं। सत्तारूढ़ पार्टी, आरएसएस और खुद पीएम मोदी ही पूरे हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते। बयान पर विवाद बढ़ने के बाद आरएसएस ने अपत्ति जताई और कहा कि हिंदुत्व को हिंसा से जोड़ने संबंधी कांग्रेस नेता का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार विभाग प्रमुख ने कही यह बात
उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से निर्वाचित कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील अंबेकर ने कहा, ‘महत्वपूर्ण पदों पर आसीन लोगों द्वारा हिंदुत्व को हिंसा से जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि चाहे वह स्वामी विवेकानंद का हिंदुत्व हो या महात्मा गांधी का, यह सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक है। बता दें कि अंबेकर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार विभाग के प्रमुख हैं।
संसद में क्या बोले राहुल जिस पर बरपा है हंगामा
इससे पहले राहुल गांधी ने हिंदू धर्म और भगवान शिव की अभयमुद्रा का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान शिव, गुरू नानक, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने पूरी दुनिया को अभयमुद्रा का संकेत दिया। बकौल राहुल गांधी अभयमुद्रा का अर्थ है डरो मत और डराओ मत। अपने भाषण के साथ राहुल ने लोकसभा में भगवान शिव की तस्वीर भी दिखाई। इस पर सत्ता पक्ष की तरफ से घोर आपत्ति दर्ज कराई गई। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी राहुल को तस्वीरें न दिखाने को कहा। हस्तक्षेप और टोका-टोकी से भरे अपने भाषण के दौरान कांग्रेस सासंद ने यह भी कहा कि अभयमुद्रा से पूरी दुनिया को साफ संदेश दिया गया है कि डरना और डराना मना है। उन्होंने इस्लाम का जिक्र करते हुए कहा, कुरान में भी इस बात का साफ उल्लेख है कि डराना मना है, लेकिन सत्ताधारी दल के लोग डराने के साथ-साथ हिंसा भी फैलाते हैं।