कारगिल युद्ध।
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25 साल पहले कारगिल युद्ध में शहीद हुए कई महान नायकों की शौर्य गाथाएं सुन कर आज भी आंखों में पानी भर आता है, जिनके लिए राष्ट्र उनके जीवन से भी अधिक महत्वपूर्ण था। ऐसे नायक जिनके लिए मातृभूमि की रक्षा उनके परिवार से भी बढ़ कर थी। सैनिक जिन्होंने देश के लिए प्राण त्याग दिए, ताकि हम और आप एक शांतिपूर्ण जीवन जी सकें। हमारे सैनिक इसलिए नहीं लड़ते क्योंकि वे सामने खड़े दुश्मन से नफरत करते हैं, बल्कि वे इसलिए लड़ते हैं, क्योंकि वे अपने देशवासियों से प्यार करते हैं। कुछ ऐसे ही थे महावीर चक्र से सम्मानित 28 साल के मेजर राजेश सिंह अधिकारी, जिनकी कहानी आज भी दिल को छू लेती है। जिन्होंने अपने प्रेम से ज्यादा देशभक्ति को अहमियत दी। तोलोलिंग की चोटी जीतने के 13 दिन बाद भारतीय सेना ने उनका शव बरामद किया था।
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टाइगर हिल जीतने के लिए तोलोलिंग पर जीत जरूरी थी
2 मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री के मेजर राजेश सिंह अधिकारी, एक साल पहले ही 18 ग्रेनेडियर्स यूनिट से जुड़े थे। उत्तराखंड के नैनीताल के रहने वाले मेजर अधिकारी को जून 1999 में ही 18 ग्रेनेडियर्स के साथ अपना एक साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा करना था और अपनी मूल रेजिमेंट में वापस लौटना था। 18 ग्रेनेडियर्स को ही 16,000 फीट पर स्थित तोलोलिंग पहाड़ी पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। भारतीय सेना के लिए तोलोलिंग पहाड़ी पर कब्जा करना भारतीय सेना के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि यहां पर टाइगर हिल्स की चोटी पर तैनात पाकिस्तानी सेना पर हमला करने के लिए बंकर स्थापित किए जा सकें। तोलोलिंग पर फतह की जिम्मेदारी मेजर राजेश सिंह अधिकारी के कंधों पर थी। तोलोलिंग पर बैठी पाकिस्तानी सेना पर हमले से पहले मेजर अधिकारी को एक पत्र सौंपा गया, जो उनकी पत्नी ने उन्हें लिखा था।