Kargil War 25 Years India Pakistan Sikh Reserve Soldier Subedar Nirmal Singh Bravery Tale News And Updates – Amar Ujala Hindi News Live

Kargil War 25 Years India Pakistan Sikh Reserve Soldier Subedar Nirmal Singh Bravery Tale News And Updates – Amar Ujala Hindi News Live



कारगिल संघर्ष के 25 साल।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


25 साल पहले कारगिल की जंग में शहीद हुए जवानों की वीरता की कहानियां आज भी रौंगटे खड़े कर देती हैं। 16,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल पर फिर से कब्जे की लड़ाई बेहद निर्णायक साबित हुई थी। उस लड़ाई में 18 ग्रेनेडियर्स और 8 सिख बटालियन ने कई सैनिकों को खोया और 12 घंटे चली लड़ाई के बाद टाइगर हिल पर फिर से जीत हासिल की। इस लड़ाई में 8 सिख की छोटी से टुकड़ी ने न केवल पाकिस्तान के हमलों को नाकाम किया, बल्कि टाइगर हिल मोर्चे पर तैनात पाकिस्तान की नॉर्दर्न लाइट इनफेंट्री के युवा कैप्टन करनाल शेर खान को भी घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था। बाद में भारतीय सेना के ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा भी उसकी बहादुरी से आश्चर्य चकित रह गए थे और उन्होंने पाकिस्तान सरकार को उसकी बहादुरी के बारे में लिखा। जिसके बाद शेर खान को पाकिस्तान के सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘निशान-ए-हैदर’ से सम्मानित किया गया। भारतीय सेना का यह जज्बा दिखाता है कि हमारे सैनिकों की दुश्मनी सिर्फ युद्ध के मैदान तक रहती है और हम मानवीय संवेदनाओं की कद्र करते हैं। 

जीवित बचे आखिरी जेसीओ थे सूबेदार निर्मल सिंह 

टाइगर हिल की लड़ाई में शहीद सुबेदार निर्मल सिंह का नाम हमेशा के लिए इतिहास में अमर हो गया। सूबेदार निर्मल सिंह का जन्म 6 मई 1957 को गुरदासपुर जिले के एक गांव में हुआ था। वे 1976 में 8 सिख में भर्ती हुए थे। वीर चक्र से सम्मानित सुबेदार निर्मल सिंह जीवित बचे आखिरी जेसीओ थे, जिन्होंने पाकिस्तान के जवाबी हमलों को नाकाम किया और शहीद हो गए। सिख बटालियन ने जवाबी हमलों में 14 लोगों को खोया, जिनमें चार जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) और दो अफसर भी घायल हो गए। 05 जुलाई 1999 को, सुबेदार निर्मल सिंह द्रास सब-सेक्टर में टिंगेल और सैंडो नाला के बीच 16,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित टाइगर अपनी खड़ी चट्टानी ढलानों के लिए मशहूर है। यहां से मुश्कोह क्षेत्र का शानदार व्यू मिलता है। टाइगर हिल के शिखर की चौड़ाई मात्र पांच मीटर है, जबकि इसके आसपास स्थित इंडिया गेट और हेलमेट की चौड़ाई लगभग 30 मीटर है। 

कमांडिंग अफसर को भी नहीं था जीत का भरोसा

टाइगर हिल पर फिर से कब्जा करने वाली 192 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा (रिटायर्ड) ने अमर उजाला से पहले हुई बातचीत में याद करते हुए बताया था कि कैसे उन्होंने इस ऑपरेशन की योजना बनाई थी। बाजवा के मुताबिक हमने शुरू में चार बटालियनों को शामिल करने की योजना बनाई थी, लेकिन टास्क सिर्फ 18 ग्रेनेडियर्स की घातक प्लाटून और 8 सिख को दिया गया। हमने पीछे की तरफ से टाइगर हिल पर पहुंचने का फैसला किया, जिसकी चढ़ाई बिल्कुल खड़ी थी। उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल से पर्वतारोहियों को बुलाया गया। टास्क जितना मुश्किल था, उसे देख कर जीओसी को भी भरोसा नहीं था कि हम टाइगर हिल कैसे जीत पाएंगे? 8 सिख बटालियन ने दुश्मन के साथ पहले की मुठभेड़ में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, जिसके चलते उनका मनोबल कम था और कमांड चेन के सीनियर अफसर भी इसकी सफलता की संभावनाओं को लेकर सशंकित थे। 

रिजर्व में थी 8 सिख टुकड़ी

ब्रिगेडियर बाजवा के मुताबिक 8 सिख के दो अफसर और चार जेसीओ के साथ 52 सैनिकों को युद्ध में रिजर्व रखा गया था। ये वे लोग थे जिन्होंने पूरी लड़ाई को पलट दिया। यह 8 सिख ही थी, जिसने पूरी जंग का रुख मोड़ा। हमें बोफोर्स की तोपों की घातक मारक क्षमता का फायदा मिला। आर्टिलरी सपोर्ट ही अकेली ऐसी ताकत थी, जिससे मैं खेल कर सकता था। वह कहते हैं कि 18 ग्रेनेडियर्स के हौंसले की दाद देनी होगी, जिन्होंने जंग के मैदान में जबरदस्त जांबाजी दिखाई। लेफ्टिनेंट (अब कर्नल) बलवान सिंह की घातक प्लाटून ने जबरदस्त कमाल दिखाया। बाद में उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, जबकि युवा ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 

एक इंच भी पीछे न हटें

बाजवा ने आगे बताया कि ये लोग चोटी पर पहुंच गए, लेकिन पाकिस्तानी भारी गोलीबारी करने लगे। 8 सिख पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा ले रही थी। वे चोटी पर डटे रहे। उसी समय मैंने उन्हें रेडियो पर कहा कि वे पाकिस्तान के जवाबी हमलों का मुकाबला करें, और एक इंच भी पीछे न हटें। दो अधिकारियों के घायल होने और तीन जेसीओ के मारे जाने के बाद, सूबेदार निर्मल सिंह ही एकमात्र नेता बचे थे और मैंने उन्हें गुरु गोबिंद सिंह की कसम दी, उसने कहा कि उनका सम्मान बना कर रखना है, उस पर आंच न आने पाए। पाकिस्तानी के जवाबी हमलों में 8 सिख ने 14 जवान खो दिए, दो अफसर अधिकारी घायल हो गए। सभी चार जेसीओ भी मारे गए। सूबेदार निर्मल सिंह इस हमले में बुरी तरह घायल हो गए थे। लेकिन उन्होंने अपने सैनिकों की कमान संभाली और ब्रिगेड कमांडर (ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा) के साथ वायरलेस पर संपर्क में रहे। 

कैप्टन करनाल शेर खान पर हमला 

सूबेदार निर्मल सिंह ने गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी अपने जवानों का नेतृत्व किया और अंत में सिर में गोली लगने से उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन सिर पर गोली लगने से पहले उन्होंने ‘बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ का जयकारा भी लगाया, जो सिख रेजिमेंट का युद्धघोष भी हैं। उसी लड़ाई में वीर चक्र से सम्मानित होने वाले हवलदार सतपाल सिंह बताते हैं कि सूबेदार साहब ने पाकिस्तान की नॉर्दर्न लाइट इनफेंट्री के युवा कैप्टन करनाल शेर खान पर हमला करने के लिए बोला। मुझे चार गोलियां लगीं थीं और मैंने अपनी लाइट मशीन गन (एलएमजी) की दो मैगजीन दुश्मन पर फायर कर दीं। मैंने ट्रैकसूट पहने और पाक सैनिकों का नेतृत्व कर रहे लंबे, हट्टे-कट्टे आदमी पर हमला किया, जो कैप्टन करनाल शेर खान था। शेर खान के मरने के बाद पाकिस्तानी सेना कमजोर पड़ गई और भारत ने टाइगर हिल को दोबारा कब्जे में ले लिया। 

‘निशान-ए-हैदर’ से सम्मानित हुए थे कैप्टन शेर खान

बाजवा के मुताबिक वहां 30 पाकिस्तानियों को दफन किया गया था, लेकिन शेर खान के शव को ब्रिगेड के हेडक्वार्टर में रखा गया। जब उनकी बॉडी पाकिस्तान को सौंपी गई, तो ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने उसकी कमीज में चिट्ठी रख दी, जिसमें उसकी बहादुरी का जिक्र था। बाजवा बताते हैं कि शेर खान भारतीय सैनिकों पर जवाबी हमला कर रहे थे। जब पहली बार में वह नाकाम हुए, तो उन्होंने दोबारा फिर हमला किया। जब पाकिस्तान को यह पत्र मिला, तो वह भी उसकी बहादुरी के कारनामे से आश्चर्यचकित रह गया। बाद में शेरखान को ‘निशान-ए-हैदर’ से सम्मानित किया गया। शेर खान के परिवार ने भी इसके लिए ब्रिगेडियर बाजवा का शुक्रिया किया था। भारत ने जिस तरह से शेर खान को सम्मान दिया, वह दिखाता है कि हमारी बारतीय सेना कितनी प्रोफेशनल है। सैनिकों की दुश्मनी सिर्फ़ युद्ध के मैदान तक रहती है। भारतीय सेना ने इस परंपरा का पालन करते हुए न सिर्फ पाकिस्तानी सेना के इस युवा अधिकारी की बहादुरी को भी इज़्ज़त बख्शी, बल्कि उसकी बहादुरी के कारनामे के साथ शव को पूरे सम्मान के साथ पाकिस्तान भेजा। यही वजह है कि भारतीय सेना दुनिया की श्रेष्ठतम सेना मानी जाती है। 

सूबेदार निर्मल सिंह अंतिम समय तक दुश्मन से लोहा लिया और इंडिया गेट, हेमलेट पर कब्जा किया। उन्होंने दुश्मन की मूवमेंट को नोटिस किया और इससे पहले की दुश्मन प्रतिक्रिया करता, अपने स्वचालित हथियारों से दुश्मन पर गोलीबारी की और भारी नुकसान पहुंचाया। वे अकेले ही दुश्मन से भिड़ गए थे और आमने-सामने की सीधी लड़ाई लड़ी। उन्होंने दुश्मन के जवाबी हमले को विफल कर दिया। बाद में भारत ने उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया।







Source link

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
How May I Help You.
Scan the code
Vishwakarma Guru Construction
Hello Sir/Ma'am, Please Share Your Query.
Call Support: 8002220666
Email: Info@vishwakarmaguru.com


Thanks!!