Kanchanjunga Accident: Driver Unions Point At New Documents To Claim Goods Train Driver’s Innocence – Amar Ujala Hindi News Live



मालगाड़ी ट्रेन के चालक की बेगुनाही का दावा
– फोटो : पीटीआई

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कंचनजंघा हादसे को लेकर रेलवे यूनियनों ने रेलवे बोर्ड के उस बयान का खंडन किया है, जिसमें प्रथम दृष्टया रेलवे बोर्ड ने कंचनजंगा एक्सप्रेस के साथ हुई टक्कर के लिए अब मृत मालगाड़ी चालक को दोषी ठहराया था। रेलवे यूनियनों ने दावा किया है कि उनके पास मृत मालगाड़ी चालक की बेगुनाही साबित करने के लिए नए दस्तावेज हैं। 

‘मृतक को बनाया जा रहा बलि का बकरा’

रेलवे यूनियन ने मालगाड़ी चालक के रानीपतरा स्टेशन परिसर के बाद पहले दो दोषपूर्ण सिग्नलों को पार करने के लिए जारी किए गए प्राधिकरण पत्र टी/369 (3बी) का हवाला दिया हैं। जिसमें 15 किमी प्रति घंटे की गति सीमा थी, जबकि दूसरे प्राधिकरण पत्र टी/ए 912 में किसी गति सीमा का उल्लेख नहीं था। 17 जून को न्यू जलपाईगुड़ी के पास हुए हादसे पर कर्मचारी यूनियनों ने कहा था कि चालक को सीधे तौर पर दोषी ठहराना, जो अपना बचाव करने के लिए जीवित नहीं है। उसे रेलवे की कमियों के लिए बलि का बकरा बनाने के समान है। 

स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली हो गई थी खराब 

रेलवे बोर्ड ने अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया में कहा कि मालगाड़ी चालक ने सिग्नल को न ध्यान देते तेजी से पार किया, जिससे दुर्घटना हुई। हालांकि बाद में, यह सामने आया कि उस दिन सुबह 5:50 बजे से स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली खराब हो गई थी, जिसके कारण रानीपतरा और चत्तर हाट के बीच सभी स्वचालित सिग्नल खराब हो गए थे। रेलवे परिचालन मानदंडों का पालन करते हुए, रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने सभी ट्रेन चालकों को दोषपूर्ण सिग्नलों से गुजरने के लिए प्राधिकरण पत्र टी/ए 912 जारी किया। 

रेलवे यूनियन ने किया मृतक चालक का बचाव

इस मामले में भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन और ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (एआईआरएफ) जैसे रेलवे यूनियनों ने मृतक चालक का बचाव किया और कहा कि उसके पास दोषपूर्ण सिग्नलों को पार करने का प्राधिकरण पत्र था, इसलिए उसकी कोई गलती नहीं थी। रेलवे यूनियनों ने न्यू जलपाईगुड़ी के परिचालन विभाग को मालगाड़ी चालक को टी/ए 912 जारी करने से पहले यह सुनिश्चित नहीं करने के लिए दोषी ठहराया कि खंड रानीपतरा और चत्तर हाट के बीच का मार्ग साफ था। यूनियनों के अनुसार, जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली में कई सिग्नल विफल हो जाते हैं, तो सुरक्षा मानदंडों के अनुसार एक बार में केवल एक ट्रेन को अनुमति दी जानी चाहिए। रेलवे बोर्ड ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि भले ही मालगाड़ी चालक को दोषपूर्ण सिग्नलों को पार करने का प्राधिकरण टी/ए 912 जारी किया गया था, लेकिन उसे प्रत्येक लाल सिग्नल पर एक मिनट के ठहराव के साथ 10 किमी प्रति घंटे की सावधानी गति से आगे बढ़ना चाहिए था। 

संयुक्त जांच दल को छानबीन में क्या मिला?

वहीं संयुक्त जांच दल के पांच वरिष्ठ अधिकारियों ने 18 जून को पाया कि मालगाड़ी चालक सिग्नल संबंधी पहलुओं और गति प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का दोषी है। जांच दल के एक अधिकारी ने असहमति जताते हुए न्यू जलपाईगुड़ी डिवीजन के परिचालन विभाग को दोषी ठहराया। अब यह बात सामने आई है कि रानीपतरा में सिग्नल फेल होने के बाद सभी ड्राइवरों को प्राधिकरण पत्र टी/369 (3बी) भी जारी किया गया था, जिसमें उन्हें स्टेशन परिसर के तुरंत बाद दो दोषपूर्ण प्रस्थान सिग्नलों को 15 किमी प्रति घंटे की प्रतिबंधित गति से पार करने के लिए कहा गया था। 







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