प्रतीकात्मक फोटो
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भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों के दल ने पूर्वी घाट क्षेत्र में सूक्ष्म शैवाल की एक नई प्रजाति खोजी है। इस प्रजाति को अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट, सावित्री बाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के शोधकर्ताओं ने खोजा है। इसका शोध अध्ययन जर्नल फाइकोलोजिया में प्रकाशित किया गया है। पूर्वी घाट भारत के पूर्वी तट पर पहाड़ों की एक असंतत शृंखला है। पूर्वी घाट ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर तमिलनाडु तक जाता है। यह कर्नाटक और तेलंगाना के कुछ हिस्सों से भी होकर गुजरता है। प्रायद्वीपीय भारत की चार प्रमुख नदियां महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी इसे काटती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये प्रजाति भारत के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित है। इसे अहमियत देते हुए इस प्रजाति को इंडिकोनेमा नाम दिया गया है। यह प्रजाति मीठे पानी में पाई गई है। यह डायटम प्रजाति गोम्फोनमॉइड समूह से संबंध रखती है, लेकिन इसमें कई ऐसी विशेषताएं हैं जो इसे इस समूह के अन्य शैवाल सदस्यों से अलग करती हैं। इंडिकोनेमा की एक प्रजाति पूर्वी घाट से, जबकि दूसरी पश्चिमी घाट से पाई गई है। इसकी शारीरिक बनावट के बारे में कहा गया है कि इसके केवल पैर के ध्रुव पर छिद्र होने के बजाय सिर और पैर दोनों ध्रुवों पर एक छिद्र क्षेत्र पाया गया है।
जलवायु परिवर्तन का अनुमान लगाने में इस्तेमाल
शोधकर्ताओं के अनुसार, जलवायु परिवर्तन का अनुमान लगाने के लिए इनका इस्तेमाल बायोलॉजिकल प्रॉक्सी के रूप में भी किया जाता है। इनको आंखों से नहीं देखा जा सकता है। ये एकल कोशिका वाली पारदर्शी संरचना होते हैं।
कांच से बने घरों में रहते हैं
सूक्ष्म शैवालों के समूह को डायटम कहते हैं। डायटम ऐसे शैवाल हैं जो कांच से बने घरों में रहते हैं। ये पृथ्वी पर एकमात्र जीव हैं, जिनकी कोशिका दीवारें पारदर्शी, ओपलीन सिलिका से बनी होती हैं। डायटम कोशिका दीवारें सिलिका के जटिल और आकर्षक पैटर्न से सजी होती हैं। ये सूक्ष्म जीव लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये इन्सान की हर चौथी सांस के लिए जिम्मेदार हैं। यानी दुनिया की 25 फीसदी ऑक्सीजन के निर्माण में इनकी भूमिका होती है। ये प्रकाश संश्लेषण की मदद से वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिए जाने जाते हैं।