एस.जयशंकर
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अफ्रीका-डे के मौके पर केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राजधानी दिल्ली में एक सभा को संबोधित किया। यहां उन्होंने भारत और अफ्रीका के संबंधों पर बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को बहुत निकटता से मिलकर काम करना होगा। जयशंरक ने आगे कहा कि भारत विश्व बंधु होने की सच्ची भावना के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद और पारस्परिक रूप से सम्मानजनक संबंध की उम्मीद करता है। उन्होंने बताया कि भारत संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंचों पर अफ्रीका की बड़ी भूमिका का समर्थक है।
भारत-अफ्रीका के संबंधों पर बोले जयशंकर
जयशंकर ने भारत और अफ्रीका के रक्षा मुद्दों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध मजबूती से आगे बढ़ रहा है। यहां तक की अफ्रीका के रक्षा मंत्री कई बार भारत में बैठक कर चुके हैं। केंद्रीय विदेश मंत्री ने कहा, “हमारे सैन्य संस्थानों में कई देशों के सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता है। भारत ने नाइजीरिया, इथियोपिया और तंजानिया में रक्षा संस्थानों की स्थापना में भी योगदान दिया है।” उन्होंने आगे कहा, “भारत ने बोत्सवाना, नामीबिया, युगांडा, लेसोथो, जाम्बिया, मॉरीशस, सेशेल्स और तंजानिया जैसे कई अफ्रीकी देशों में प्रशिक्षण टीमें तैनात की हैं।”
जयशंकर ने आगे कहा, “भारत संयुक्त राष्ट्र शांति-रक्षा अभियानों में तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। मौजूदा समय में लगभग पांच हजार भारतीय कर्मी अफ्रीका में पांच शांति-रक्षा मिशनों में सेवा दे रहे हैं।” यूएन और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर अफ्रीका की भूमिका के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “हमारी जी20 की अध्यक्षता के दौरान आपने देखा होगा कि भारत ने वैश्विक दक्षिण को वैश्विक चर्चा के केंद्र में रखने का निर्णय लिया। हम सिर्फ अफ्रीका की आवश्यकताओं पर ही नहीं, बल्कि अफ्रीका की आकांक्षाओं पर भी जोर देते हैं।”
जयशंकर ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) में अफ्रीकी देशों की भागीदारी की सराहना भी की। भारत और अफ्रीका के बीच मजबूत संबंधों का आह्वान करते हुए जयशंकर ने बताया कि वह चौथे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (आईएएफएस IV) का इंतजार कर रहे हैं।