In A Serious Crime Like Bigamy, Imprisonment Is Not An Appropriate Punishment Until The Court Rises: Sc – Amar Ujala Hindi News Live – Bigamy Punishment:सुप्रीम कोर्ट की दो टूक

In A Serious Crime Like Bigamy, Imprisonment Is Not An Appropriate Punishment Until The Court Rises: Sc – Amar Ujala Hindi News Live – Bigamy Punishment:सुप्रीम कोर्ट की दो टूक



सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : ANI

विस्तार


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन अपराधों में तो न्यायालय उठने तक कारावास की सजा दी जा सकती है, जिनमें न्यूनतम सजा निर्धारित नहीं है, लेकिन द्विविवाह के गंभीर मामले में यह उचित सजा नहीं है। जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि अपराधियों को सजा देना समाज को संतुष्ट करने के लिए नहीं है। सजा व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आनुपातिकता के नियम के बारे में है।

पीठ ने कहा, जो अपराध समाज को प्रभावित कर सकता है, उनमें दोषी ठहराए जाने के बाद नाममात्र की सजा देकर अपराधी को छोड़ देना उचित नहीं है। इस मामले में न्यायालय ने एक महिला और उसके दूसरे पति को द्विविवाह करने के लिए छह-छह महीने जेल की सजा सुनाई है। हालांकि इस तथ्य को देखते हुए कि दंपती का छह साल का बच्चा है, पीठ ने सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हुए सजा का एक अनूठा तरीका अपनाया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि माता-पिता में से कोई एक बच्चे के साथ रहे। न्यायालय ने दूसरे पति को पहले छह महीने की सजा काटने के लिए आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया और उसकी सजा पूरी होने के बाद महिला को दो सप्ताह के भीतर छह महीने की जेल की सजा काटने के लिए आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है। पीठ ने स्पष्ट किया कि इस व्यवस्था को मिसाल नहीं माना जाएगा, क्योंकि यह विशेष परिस्थितियों में आदेश दिया गया है।  



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