लोकसभा चुनाव 2024 का अंतिम परिणाम तय करने में संविधान के मुद्दे ने अहम भूमिका निभाई थी। भाजपा ने जब ‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा लगाया था, तब विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने यही आरोप लगाने की कोशिश की थी कि भाजपा 400 से अधिक सीटें लाकर देश के संविधान को बदलना चाहती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी जनसभाओं में अपने हाथ में संविधान की प्रति लहराकर लगातार इस मुद्दे पर जनता को आंदोलित करने की कोशिश की थी। माना जाता है कि विपक्ष के इस मुद्दे ने जनता की एक वर्ग के बीच गहरा भ्रम पैदा किया, जिससे दलित और ओबीसी मतदाताओं का एक वर्ग भाजपा से कट गया। भाजपा को इसका उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में भारी नुकसान हुआ और वह तीसरी बार अकेले दम पर सत्ता हासिल करने से दूर रह गई।
अब देश के विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों को संविधान की मुद्दे की अहमियत पता चल गई है। विपक्ष अपनी बढ़त को गायब नहीं होने देना चाहता है। वह संविधान के मुद्दे पर लगातार देश की जनता को अपने साथ जुड़े जोड़कर रखने के लिए लगातार नए कार्यक्रम बना रहा है। कांग्रेस देश की दलित बस्तियों और गांव में जाकर दलित युवाओं और मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की योजना बना रही है। वह गांव-गांव में संविधान रक्षक तैयार करने की योजना पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी दलित समुदाय को संविधान के मुद्दे पर लोगों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। इसकी पूरी कोशिश दलित मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की है।
वहीं, भाजपा को यह खतरा समझ में आ रहा है कि यदि वह इस लड़ाई में कमजोर पड़ती है, तो आगे उसकी लड़ाई बहुत कठिन हो सकती है। लोकसभा चुनाव की तरह आगे के चुनावों में भी उसे नुकसान हो सकता है। संभवत यही कारण है कि बिना देर किए हुए उसने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अख्तियार किया और संविधान हत्या दिवस का नया कार्यक्रम उसी का परिणाम है। केंद्र सरकार ने 25 जून को प्रतिवर्ष संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय कर लिया है। भाजपा की योजना है कि इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए वह जनता के बीच विपक्ष को बेनकाब कर सकेगी। वह विपक्ष के उस प्लान को ध्वस्त कर सकेगी, जिसे विपक्ष ने बनाया है। यानी भाजपा ने विपक्ष को अब उसी के जाल में फंसाने का प्लान तैयार कर लिया है। यह दांव कितना सफल रहेगा, यह देखने वाली बात होगी।
भाजपा ने किया स्वागत
केंद्र सरकार ने 25 जून को प्रतिवर्ष संविधान की हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक घटना बताई है। उन्होंने कहा कि इससे लोगों को यह याद आएगा कि इस तरह की कोशिश लोकतंत्र को किस तरह कमजोर कर सकती है। उन्होंने इसे उन लोगों को याद करने का दिन भी बताया, जिन्होंने आपातकाल की त्रासदी को झेला था।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्र सरकार के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि 25 जून देश के इतिहास में शर्मनाक घटना वाला दिन है। इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय कर सरकार ने एक बहुत अच्छा कदम उठाया है, क्योंकि इससे देश की जनता को हमेशा यह याद रहेगा की इस तरह के कदमों से किस तरह कांग्रेस ने देश के लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की थी। उनके अनुसार इस तरह के कार्यक्रम देश में दोबारा इस तरह की स्थिति लाने नहीं देंगे।
अपनी इमरजेंसी छिपा रही सरकार- कांग्रेस
कांग्रेस ने केंद्र सरकार के ‘संविधान हत्या दिवस’ कार्यक्रम को अपनी ‘इमरजेंसी’ को छिपाने की कोशिश बताया है। कांग्रेस नेता उदित राज ने अमर उजाला से कहा कि इस समय की केंद्र सरकार ने अघोषित इमरजेंसी लागू कर रखी है। यह इमरजेंसी 1975 वाली इमरजेंसी से बहुत बुरी है। उन्होंने कहा कि उस इमरजेंसी के दौर में भी दलित-पीड़ित जातियों के लोगों के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया था। लेकिन केंद्र सरकार की वर्तमान इमरजेंसी में दलितों, वंचितों के हितों को समाप्त किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि केंद्र सरकार इस तरह के हथकंडे अपनाकर लोगों को भ्रमित करना चाहती है, लेकिन पिछले दस साल के उसके कामकाज लोगों के सामने हैं और उसकी कोई भी कोशिश अब सफल नहीं होने वाली है।
विपक्ष ने किया हमला
जैसे ही विपक्षी दलों को इस बात की जानकारी मिली कि केंद्र सरकार ने संविधान हत्या दिवस के रूप में एक नए कार्यक्रम की घोषणा की है, वे तेजी से आक्रामक हो गए। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मोहम्मद आज़म ने कहा कि देश की जनता ने पिछले 10 सालों में यह देखा है कि भाजपा ने देश के संविधान और संवैधानिक संस्थाओं का उपहास उड़ाया है। केंद्र सरकार द्वारा नए-नए कार्यक्रम की घोषणा करने से कोई लाभ नहीं होगा और जनता उनका विश्वास नहीं करेगी।
आम आदमी पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा कि केंद्र सरकार ने अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ देश के अनेक नेताओं को जेल में ठूंसने का काम किया है। यह किसी आपातकाल से कम नहीं है। देश की जनता यह देख रही है कि भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के नाम पर किस तरह विपक्ष को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा को सबसे पहले अपने गिरेबन में झांकना चाहिए।