High Court Withdrew Its Order On Child Pornography – Amar Ujala Hindi News Live



कर्नाटक उच्च न्यायालय
– फोटो : एएनआई (फाइल)

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने 10 जुलाई के उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें कहा गया था कि ऑनलाइन चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखने वाले व्यक्ति के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। यह बदलाव जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ की तरफ से अधिनियम की धारा 67बी(बी) के संबंध में चूक को स्वीकार करने के बाद किया गया है।

जस्टिस नागप्रसन्ना ने इससे पहले इनायतुल्ला एन के खिलाफ आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि केवल अश्लील सामग्री को देखने भर से कोई आरोपी नहीं हो जाता है, क्योंकि, धारा 67 बी के तहत मुकदमा चलाने के लिए सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना जरूरी होता है। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से दायर एक रिकॉल आवेदन पर अदालत ने पाया कि उसके पहले के फैसले में धारा 67बी के उपबंध (बी) की उपेक्षा की गई थी। इस उपबंध में निर्धारित किया गया है कि बच्चों को अश्लील या यौन रूप से स्पष्ट तरीके से चित्रित करने वाली सामग्री का निर्माण, संग्रह, खोज, ब्राउज, डाउनलोड, विज्ञापन, प्रचार, आदान-प्रदान या वितरण करना धारा 67बी के दायरे में ही आता है। न्यायालय ने कहा कि धारा 67बी(बी) इस मामले के लिए प्रासंगिक है। इसके साथ ही कहा कि प्रारंभिक निर्णय में इस प्रावधान पर विचार न करके गलती की गई थी, जिसके कारण कार्यवाही को अनुचित तरीके से निरस्त किया गया। 



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