भारत के बड़े हिस्से में जुलाई के पहले हफ्ते हुई भारी वर्षा ने जून की कमी की भरपाई कर दी है, जिससे मानसून वर्षा अधिशेष श्रेणी में आ गया है। यह जनकारी भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दी है।
मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो-तीन दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत और प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी हिस्सों में और अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर-पूर्व में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।
चावल, गेहूं और गन्ने जैसी महत्वपूर्ण फसलों के उत्पादक में भारत विश्व के शीर्ष देशों में हैं और यहां जून में 11 प्रतिशत की वर्षा की कमी दर्ज की गई थी, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में 33 प्रतिशत की कमी हुई थी।
पूर्वोत्तर के राज्यों में आई बाढ़
जुलाई के पहले सप्ताह में भारी बारिश ने कमी की भरपाई कर दी है लेकिन कई पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ आ गई। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जून को चार महीने का मानसून सीजन शुरू होने के बाद से देश में सामान्य 213.3 मिमी की तुलना में 214.9 मिमी बारिश हुई है।
उत्तर पश्चिम भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से क्रमशा 3 प्रतिशत और 13 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
मानसून की गति कम हो गई
आईएमडी के आंकड़ों से पता चला है कि देश के 23 प्रतिशत उप-विभागीय क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा हुई, 67 प्रतिशत में सामान्य वर्षा हुई, और केवल 10 प्रतिशत में कम वर्षा हुई। 30 मई को केरल और पूर्वोत्तर क्षेत्र में शुरुआत करने और महाराष्ट्र तक सामान्य रूप से आगे बढ़ने के बाद, मानसून ने गति खो दी।
बारिश में देरी के कारण भीषण गर्मी
पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बारिश में हुई देरी के कारण उत्तर, पश्चिम भारत में भीषण गर्मी का असर देखने को मिला था। मौसम विभाग ने शनिवार को कहा कि अगले पांच दिनों तक पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश जारी रहेगी।