चुनाव (सांकेतिक तस्वीर)
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लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में शुक्रवार को राज्य विधान परिषद की 11 सीटों पर महा मुकाबला होने जा रहा है। विधानसभा में पर्याप्त संख्या बल न होने पर भी विपक्षी गठबंधन, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने विधान परिषद चुनाव में तीन प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को नया मोड़ दे दिया है। जबकि, सत्ताधारी गठबंधन, महायुति ने नौ प्रत्याशी उतारे हैं। अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 11 सीटों के लिए विधान परिषद का चुनाव हो रहा है। इसलिए इसे राज्य की सत्ता का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है।
होटल में ठहराए गए विधायक
महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव से पहले खेल शुरू हो गया है। सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने विधायकों की बाड़ेबंदी के लिए मुंबई के बड़े होटल बुक किए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दक्षिण मुंबई के कफ परेड स्थित होटल ताज प्रेसीडेंट में विधायकों को बुला लिया है। वहीं, एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना ने बांद्रा स्थित ताज लैंड्स एंड में विधायकों को ठहराया है। अजित पवार नीत एनसीपी के विधायकों ने होटल ललित में डेरा डाल दिया है। इसी तरह विपक्षी गठबंधन ने भी अपने विधायकों को आलीशान होटल में भेजा है। शिवसेना (यूबीटी) ने अपने विधायकों को परेल के आईटीसी ग्रैंड मराठा होटल में रहने का प्रबंध किया। इस बीच कांग्रेस और शरद पवार नीत एनसीपी के विधायक बेफिक्र नजर आ रहे हैं।
12 जुलाई को 11 सीटों पर चुनाव
आपको बता दें कि राज्य विधान परिषद के 11 सदस्यों का कार्यकाल 27 जुलाई 2024 को समाप्त हो रहा है। खाली होने वाली इन 11 सीटों के लिए 12 जुलाई को मतदान होगा। इस चुनाव में भाजपा के पांच, एकनाथ शइंदे नीत शिवसेना ने दो और अजित पवार नीत एनसीपी के दो उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने एक-एक प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। इसके अलावा शरद पवार नीत एनसीपी ने शेतकरी (किसान) कामगार पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन दिया है।
क्या है चुनावी गणित?
विधान परिषद में एक सदस्य के निर्वाचित होने के लिए वोटों का कोटा 23 है। एमवीए के विधानसभा में कुल 65 विधायक हैं, जिनमें कांग्रेस के 37, उद्धव ठाकरे गुट के 15 और एनसीपी शरद पवार गुट के 13 विधायक हैं। एमवीए गठबंधन के समर्थन में समाजवादी पार्टी, एमआईएम, कम्युनिस्ट पार्टी और निर्दलीय विधायक हैं। वहीं, सत्ताधारी गठबंधन महायुति में भाजपा के पास निर्दलीयों को लेकर 111, शिवसेना के 38 और एनसीपी (अजित गुट) के पास 39 विधायक हैं। इस तरह महायुति और एमवीए के पास अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए संख्याबल का अभाव है। ऐसे में विधायकों के खरीद-फरोख्त की भी संभावना है।