मनोज जरांगे
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महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। अब जरांगे का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार ने 57 लाख दस्तावेज मिलने के बाद भी कुनबी प्रमाण प्रत्र जारी नहीं किए। उन्होंने यह भी दावा किया है कि पड़ोसी राज्य तेलंगाना में भी ऐसे पांच हजार दस्तावेज मिलने के बाद भी कुनबी समुदाय के लिए प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए। जरांगे के अनुसार राज्य सरकार मराठा सरकार को बांटने की साजिश रच रही है।
आरक्षण न मिलने तक जारी रहेगी लड़ाई- जरांगे
जालना में एक रैली को संबोधित करते हुए जरांगे ने कहा कि जब तक मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण नहीं मिला, तब तक लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने राज्य सरकार से जन्म और विवाह अधिसूचना में संशोधन की भी मांग की है। आपको बता दें कि ओबीसी नेताओं ने मराठा समुदाय के लिए कोटा लाभ के लिए अधिसूचना का विरोध किया है। ओबीसी नेताओं का दावा है कि इसकी वजह से उनके समुदाय को मिलने वाले फायदे कम हो जाएंगे।
57 लाख दस्तावेज मिलने के बाद जारी नहीं किया प्रमाण पत्र
जरांगे ने कहा, ‘राज्य सरकार ने महाराष्ट्र में 57 लाख और हैदराबाद में पांच हजार ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि मराठा लोग कुनबी जनजाति के हैं। इसके बाद भी सरकार बहाने बना रही है और जानबूझ कर आरक्षण नहीं देना चाहती। राज्य सरकार, मराठा आरक्षण को दबाने के लिए समुदाय के लोगों को बांटने का काम कर रही है।’ जरांगे ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए आखिरी तिथि 13 जुलाई तय की थी। उन्होंने कहा कि अब वे पीछे नहीं हटेंगे और आंदोलन के सफल होने तक आराम नहीं करेंगे।
क्या है जरांगे की मांग?
मनोज जरांगे मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जनजाति प्रमाणपत्र देने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में कुनबी समुदाय को ओबीसी श्रेणी में रखा गया है ऐसे में मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने से उन्हें (मराठा आरक्षण के लोगों को) आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।