Congress Mp K Suresh And Akhilesh Yadav On Sp Mp Rk Chaudhary’s Remark On Sengol – Amar Ujala Hindi News Live – सेंगोल पर छिड़ा नया विवाद:सपा सांसद बोले



सेंगोल पर छिड़ा नया विवाद
– फोटो : एएनआई

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संसद में इंडी गठबंधन की संख्या बढ़ते ही विपक्षी दलों के सांसद अपनी हर वो बात मुखरता से कह रहे हैं, जो वे पिछली सरकार में नहीं कह पा रहे थे। मोहनलालगंज से समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद आरके चौधरी ने एक नई मांग करते हुए बहस छेड़ दी है। उन्होंने संसद में लगे सेंगोल को हटाने की मांग की है। हालांकि, उनके बयान के बाद पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को सफाई देनी पड़ गई है। 

सपा सांसद आरके चौधरी ने कहा, ‘आज, मैंने इस सम्मानित सदन में आपके समक्ष सदस्य के रूप में शपथ ली है कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा लेकिन मैं सदन में पीठ के ठीक दाईं ओर सेंगोल देखकर हैरान रह गया। महोदय, हमारा संविधान भारतीय लोकतंत्र का एक पवित्र ग्रंथ है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है। हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी  राजे-रजवाड़े का महल नहीं।’

सांसद आरके चौधरी ने आगे कहा, ‘मैं आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन में सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए।’

सेंगोल का अर्थ है राज-दंड

उन्होंने आगे पत्रकार से कहा, ‘संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है। अपने पिछले कार्यकाल में पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने संसद में सेंगोल स्थापित किया है। ‘सेंगोल’ का अर्थ है राज-दंड। इसका अर्थ ‘राजा की छड़ी’ भी होता है यानी राजा का डर। जब राजा फैसला करता था तो वह डंडा पीटता था। रियासत व्यवस्था समाप्त होने के बाद देश स्वतंत्र हो गया। देश ‘राजा का डंडा’ से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटा दिया जाए।’

कांग्रेस ने किया किनारा

आरके चौधरी की टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद के. सुरेश कहते हैं, ‘मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्या विचार व्यक्त किए हैं। मुझे जानकारी नहीं है, लेकिन समाजवादी पार्टी ने अपनी राय व्यक्त की है और अपना बयान दिया है। इसलिए, वे ध्यान में रखेंगे।’

पार्टी ने दी सफाई

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमारे सांसद ऐसा इसलिए कह रहे होंगे क्योंकि जब यह (सेंगोल) स्थापित किया गया था, तो पीएम ने इसे प्रणाम किया था। जबकि शपथ लेते समय वह ऐसा करना भूल गए। शायद मेरे सांसद ने उन्हें यह याद दिलाने के लिए ऐसा कहा है। जब प्रधानमंत्री इसे प्रणाम करना भूल गए, तो शायद वह भी कुछ और ही चाहते होंगे।’







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