Congress Leader Krishna Byre Gowda And Priyank Kharge On Valmiki Scam News And Updates – Amar Ujala Hindi News Live



कृष्णा बायरे गौड़ा और प्रियांक खरगे
– फोटो : एएनआई

विस्तार


कर्नाटक में महर्षि वाल्मिकी जनजातीय विकास निगम में हुए कथित घोटाले को लेकर भाजपा लगातार राज्य सरकार पर हमला बोल रही है। वहीं, ईडी और सीबीआई द्वारा मामले की जांच कराए जाने की मांग की जा रही है। ऐसे में अब यहां के मंत्रियों ने भारतीय जनता पार्टी और जांच एजेंसियों पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी इस घोटाले में ज्यादा दिलचस्पी ले रही है। ऐसा लग रहा है कि विपक्ष को निशाना बनाने के लिए सब कुछ किया जा रहा है। 

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गौरतलब है, कर्नाटक में महर्षि वाल्मिकी जनजातीय विकास निगम में कथित तौर पर 180 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला हुआ है। एसआईटी द्वारा इसकी जांच की जा रही है।

वाल्मीकि घोटाले में ईडी की ज्यादा दिलचस्पी

कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा, ‘कर्नाटक में ईडी और सीबीआई महर्षि वाल्मीकि निगम के कथित घोटाले में ज्यादा दिलचस्पी रख रहे हैं। भोवी निगम, ठंडा निगम आदि में वे चुप क्यों थे? ऐसा लग रहा है कि वे विपक्ष को निशाना बनाने के लिए सब कुछ कर रहे हैं। ईडी के अधिकारी विपक्ष के लोगों को निशाना बनाने के लिए सभी संभव रणनीति का उपयोग कर रहे हैं। हम इसके खिलाफ कानूनी तरीके से लड़ेंगे।’

अब यह संभव नहीं

वहीं, मंत्री और कांग्रेस नेता कृष्णा बायरे गौड़ा ने कहा, ‘वे विपक्ष पर हमला करने के लिए उनका (ईडी, आईटी और सीबीआई जैसी एजेंसियों) इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां तक कि कर्नाटक में भी उन्होंने ऑपरेशन कमल का इस्तेमाल किया और सरकार को गिरा दिया। अब यह संभव नहीं है, इसलिए वे ईडी और आईटी का दुरुपयोग कर रहे हैं।’

दोषियों को पकड़ने का कोई इरादा नहीं…

उन्होंने आगे कहा कि महर्षि वाल्मीकि निगम के कथित घोटाले में भी ईडी यही कर रही है। वे जांच के दायरे में आए व्यक्ति पर कथित घोटाले में शीर्ष लोगों के नाम लेने का दबाव बना रहे हैं। उनका दोषियों को पकड़ने का कोई इरादा नहीं है, वे केवल सरकार को गिराने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

यह था मामला

कर्नाटक की महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम में लेखा विभाग के अधीक्षक चंद्रशेखर पी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा था। इसके बाद निगम में बड़ा घोटाला सामने आया। नोट में निगम के खाते से 187 करोड़ रुपये अवैध तरीके से ट्रांसफर किए गए। इसमें से 88.62 करोड़ रुपये आईटी कंपनी और हैदराबाद की एक सहकारी बैंक में अवैध रूप से भेजे गए। घोटाले का आरोप लगने के बाद अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री बी नागेंद्र ने छह जून को इस्तीफा दे दिया था। मौजूदा समय में वे ईडी की हिरासत में हैं।







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