#WATCH | A Bangladesh national says, “The situation in Bangladesh is not good. Internet connection is disrupted…I have arrived in India for the medical treatment of my mother…” pic.twitter.com/DfsaBAdZxh
— ANI (@ANI) July 20, 2024
बांग्लादेश के एक मेडिकल कॉलेज के छात्र आसिफ हुसैन जो बांग्लादेश में चल रहे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच भारत वापस आने के लिए सीमा पार कर गया था। अब उसकी मां सेमिम सुल्ताना ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने बताया, ‘मेरे बेटे ने मुझे बताया कि वहां हालात ठीक नहीं हैं, इसलिए वे वापस आ रहे हैं। 10 से 15 लोगों ने एक गाड़ी भाड़े पर ली और कोलकाता आ गए।’
जब पूछा गया कि आप लोग क्या सोच रहे थे बेटे के बांग्लादेश में होने पर तो सुल्ताना ने कहा कि हम लोग बहुत परेशान थे। वहां धुबरी के करीब पांच छात्र पढ़ रहे हैं।
छात्रों को हमेशा सुना जाना चाहिए: कीर्तिवर्धन सिंह
विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा, ‘यह चिंताजनक मुद्दा है। छात्रों को हमेशा सुना जाना चाहिए और हमें उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार जल्द ही इस मामले को सुलझा लेगी।’
#WATCH | On countrywide protests in Bangladesh against job quotas, MoS External Affairs Kirti Vardhan Singh says, “This is a worrying issue…Students’ issues should always be heard and we are hopeful that the Bangladesh government will resolve is matter soon…” pic.twitter.com/Ezrmu8n0Vm
— ANI (@ANI) July 20, 2024
मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार सरकार
गौरतलब है, आरक्षण आंदोलन के बीच सरकार ने कहा है कि वह मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार है। वहीं प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मुद्दे के समाधान तक उनका विरोध नहीं रुकेगा। इस विरोध में प्रदर्शनकारियों को विपक्षी दलों का भी साथ मिल गया है। बांग्लादेश में जारी हिंसा के चलते भारत, अमेरिका समेत कई देशों ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। उधर संयुक्त राष्ट्र संगठन ने भी हिंसा पर चिंता जताई है।
आखिर बांग्लादेश में जारी आरक्षण आंदोलन क्या है?
विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण का प्रावधान है। 1972 में शुरू की गई बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था में तब से कई बदलाव हो चुके हैं। 2018 में जब इसे खत्म किया गया, तो अलग-अलग वर्गों के लिए 56% सरकारी नौकरियों में आरक्षण था। समय-समय पर हुए बदलावों के जरिए महिलाओं और पिछड़े जिलों के लोगों को 10-10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई। इसी तरह पांच फीसदी आरक्षण धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए और एक फीसदी दिव्यांग कोटा है।
मामला कोर्ट में फिर क्यों प्रदर्शन हो रहे हैं?
प्रदर्शनकारी छात्र मुख्य रूप से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए आरक्षित नौकरियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी इस व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि यह भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों के फायदे के लिए है। बता दें कि प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब उर रहमान की बेटी हैं, जिन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था।
प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि इसकी जगह योग्यता आधारित व्यवस्था लागू हो। विरोध प्रदर्शन के समन्वयक हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि छात्र कक्षाओं में लौटना चाहते हैं, लेकिन वे ऐसा तभी करेंगे जब उनकी मांगें पूरी हो जाएंगी।
तो क्या आरक्षण को पूरी तरह खत्म करने की मांग कर रहे हैं प्रदर्शनकारी?
प्रदर्शनकारी सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो अल्पसंख्यकों और दिव्यांगों को मिलने वाले आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं।