बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल)
– फोटो : एएनआई
विस्तार
कानून और न्याय मंत्रालय के एक कार्यक्रम में बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने नए आपराधिक कानूनों पर अपनी राय रखी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नए बनाए गए आपराधिक कानूनों का स्वागत किया जाना चाहिए। रविवार को एक कार्यक्रम में जस्टिस उपाध्याय ने कहा, बदलाव का विरोध करना स्वाभाविक मानवीय प्रवृत्ति है, लेकिन कानूनों में हुए बदलाव को बदली हुई मानसिकता के साथ स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने नए कानूनों को प्रभावी तरीके से धरातल पर उतारे जाने का जिक्र करते हुए कहा, कानून के कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह लोगों को अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी चाहिए।
चीफ जस्टिस ने कहा, किसी भी बदलाव के लिए इंसान सहजता से तैयार नहीं होता। ये स्वाभाविक भी है। कंफर्ट जोन से बाहर आने से हम कतराते हैं, लेकिन अज्ञात डर प्रतिरोध का कारण बनता है जिससे हमारे तर्क प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा, नए आपराधिक कानूनों का मकसद न्यायिक देरी को रोकना और सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर, सुरक्षित और मजबूत इस्तेमाल की शुरुआत करना है।
चीफ जस्टिस के मुताबिक आपराधिक न्याय प्रणाली एक सदी से भी अधिक पुरानी हो चुकी है। नए कानून भी अपने साथ कुछ चुनौतियां लेकर आएंगे, लेकिन हमें बदली हुई मानसिकता के साथ इन बदलावों को स्वीकार करना होगा। अपने कंफर्ट जोन से बाहर आकर इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना होगा।