शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने पीएम मोदी पर यूजीसी-नेट रद्द करने को लेकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि क्या अभी भी वो लोग परीक्षा पे चर्चा करेगी।
इन दिनों देश में नीट में धांधली को लेकर विवाद चल रहा है। इसी बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को यूजीसी-नेट को रद्द करने का आदेश दिया, क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है, और मामले की जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया।
‘परीक्षा पे चर्चा’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल है, जिसका उद्देश्य परीक्षाओं से जुड़े तनाव को दूर करना है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम पिछले छह वर्षों से छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को जोड़ता रहा है।
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा खुद को बचाने के लिए उठाए गए कदम से लगभग नौ लाख छात्रों को नुकसान होगा। इन छात्रों के प्रयास और पैसे बर्बाद हो गए। इन छात्रों को अब जिन्हें फिर से परीक्षा देनी होगी। उन्होंने इस बात को लेकर पीएम मोदी पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि “इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि ‘परीक्षा पे चर्चा’ आयोजित करने वाले लोग बिना गड़बड़ी किए परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते।”
आदित्य ठाकरे ने कहा कि केंद्र को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा, “क्या परीक्षा पे चर्चा उन युवाओं के साथ आयोजित की जा सकती है जिनकी परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं?”
वहीं नीट में कथित अनियमितताओं के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच, राकांपा (शरद पवार) नेता अमोल कोल्हे ने बृहस्पतिवार को कहा कि मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा को एक विकल्प के रूप में माना जाना चाहिए। शिरूर से सांसद, जो पेशे से डॉक्टर हैं, ने कहा कि इस मुद्दे को संसद में उठाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार “बड़े पैमाने पर अनियमितताओं” के लिए नैतिक जिम्मेदारी नहीं ले रही है। कोल्हे ने कहा, “भविष्य में, यह देखा जाना चाहिए कि क्या नीट आवश्यक है और राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा एक विकल्प हो सकती है।”