अहोम मोइदम
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असम के चराइदेव जिले में स्थित अहोम युग के ‘मोइदम’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है। यह सिफारिश अंतरराष्ट्रीय सलाहकार संस्था ICOMOS ने की है। बता दें कि अहोम मोइदम असम के शाही परिवारों का कब्रिस्तान है। अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद (आईसीओएमओएस) ने ‘सांस्कृतिक एवं मिश्रित संपत्तियों के नामांकन का मूल्यांकन’ रिपोर्ट तैयारी की है। इस रिपोर्ट को 21-31 जुलाई तक नई दिल्ली में आयोजित होने वाले विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र में पेश किया जाएगा।
भारत से एकमात्र आवेदन
दुनिया भर से 19 नए नामांकनों सहित कुल 36 नामांकनों का मूल्यांकन किया गया, जिसमें से अहोम मोइदम भारत से एकमात्र आवेदन था। आईसीओएमओएस ने सिफारिश की है कि अहोम राजवंश को दफनाने की जगह अहोम मोइदम को मानदंड 3 और मानदंड 4 के आधार पर विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाए। इस सिफारिश के साथ, पहली बार आवेदन करने वाले मोइदम, यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में औपचारिक रूप से प्रवेश करने से बस एक कदम दूर हैं। इन्हें पहली बार अप्रैल 2014 में संभावित सूची में शामिल किया गया था।
शाही परिवार का कब्रिस्तान
फ्रांस स्थित आईसीओएमओएस, सांस्कृतिक विरासतों के लिए यूनेस्को का एक सलाहकार निकाय है। यह एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसमें पेशेवर, विशेषज्ञ, स्थानीय अधिकारियों, कंपनियों और विरासत संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह निकाय दुनिया भर में वास्तुकला और परिदृश्य विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम करता है। अहोम मोइदम का क्षेत्रफल 95.02 हेक्टेयर है और इसका बफर जोन 754.511 हेक्टेयर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चराइदेव स्थित मोइदम के भीतर 90 संरचनाएं हैं, जो ऊंची भूमि पर स्थित हैं। इन्हें ईंट, पत्थर या मिट्टी से बने खोखले मिट्टी के टीले जैसा बनाया गया था। इसमें एक अष्टकोणीय दीवार के केंद्र में एक मंदिर बनाया गया था। चराइदेव में स्थित मोइदम अहोम राजाओं और रानियों का कब्रिस्तान है। ये मध्यकालीन युग के असम के कलाकारों की शानदार वास्तुकला और विशेषज्ञता का नमूना है।