भीषण गर्मी
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जलवायु परिवर्तन की वजह से इस साल दुनियाभर के करीब पांच अरब लोगों ने जून के नौ दिन भीषण गर्मी का सामना किया। इसमें भारत में सबसे अधिक 61.9 करोड़ लोग प्रभावित हुए। अमेरिका स्थित वैज्ञानिकों के एक स्वतंत्र समूह क्लाइमेट सेंट्रल के नए विश्लेषण में यह खुलासा हुआ है।
क्लाइमेट सेंट्रल के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी एंड्रयू पर्शिंग ने कहा, एक सदी से भी ज्यादा वक्त तक कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जलाने से हमें एक खतरनाक दुनिया मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 16-24 जून के बीच, 4.97 अरब लोगों ने अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया। वहीं, वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन समूह के एक अध्ययन में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन ने मई और जून की भीषण गर्मी को 35 गुना अधिक संभावित बना दिया है। जून में भीषण गर्मी ने भारत में 61.9 करोड़, चीन में 57.9 करोड़, इंडोनेशिया में 23.1 करोड़, नाइजीरिया में 20.6 करोड़, ब्राजील में 17.6 करोड़, बांग्लादेश में 17.1 करोड़, अमेरिका में 16.5 करोड़, यूरोप में 15.2 करोड़, मैक्सिको में 12.3 करोड़, इथियोपिया में 12.1 करोड़ और मिस्र में 10.3 करोड़ लोगों पर असर डाला।
सऊदी अरब में 1,300 लोगों की हुई मौत
सऊदी अरब में सालाना हज यात्रा के दौरान गर्मी से जुड़ी बीमारियों से कम से कम 1,300 लोगों की मौत हो गई। यहां कुछ शहरों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक था। क्लाइमेट सेंट्रल के विश्लेषण में देखा गया कि मक्का शहर में 18 मई से हर दिन जलवायु परिवर्तन के कारण कम से कम तीन गुना अधिक तापमान और 24 मई से पांच गुना अधिक तापमान का अनुभव हुआ। यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित पहल क्लाइमेटमीटर में वैज्ञानिकों ने पिछले विश्लेषण में पाया, जलवायु परिवर्तन ने सऊदी अरब में गर्मी की लहर को 2.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा दिया।